मिलन की वो रात
तू याद कर उस साथ को, पहले मिलन की रात को
जब जवां थे दो दिल, मिले थे प्यार के प्यासे झील
तू याद कर उस साथ को, पहले मिलन की रात को ।।
वो ठंड की एक रात थी, छाया अंधेरा और जज़्बात थी
तन में लगी वो आग थी, धधकता बदन फौलाद थी
तू याद कर उस साथ को, पहले मिलन की रात को ।।
मेरी साँसे अटकी थी तेरे सिने में,
तू सिने से मुझे ऐसे लगाई थी
लग रहा था जैसे तू अप्सरा, मुझपर अपनी जवानी लुटाई थी
मानों ऐसा लग रहा था जैसे तूने मेरे
बालों को सहलाते हुए मुझे छुआ
जल उठी चिंगारी
जो उस ठंडी में
पसीने बहा रही थी
और तेरे अन्तःवस्त्र को खोलते हुए
मेरे जिस्म में समा रही थी
तू दुपट्टा हटाये
तेरे नुकीले हरे नाखूनों ने
मेरे पीठ को खरोचते हुए
मेरा वो अंग जो तेरे नितंब के नीचे
अठखेलियाँ कर रहा था
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